केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने शुक्रवार को कहा कि नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) का विरोध करने वाले लोगों को ओबीसी और दलित विरोधी है घोषित कर दिया जाना चाहिए। गृह राज्य मंत्री ने कहा कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में उत्पीड़न के कारण वहां से आने वाले लोगों में अधिकतर शर्णार्थी अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और दलित वर्ग से हैं। उन्हें सम्मान देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नागरिकता कानून लेकर आए हैं।
साथ ही राय ने ओबीसी समुदाय की एक सभा को संबोधित करते हुए कहा, अगर कोई सीएए का विरोध करता है तो उसे दलित विरोधी और ओबीसी विरोधी घोषित कर देना चाहिए। सीएए का विरोध ओबीसी पर हमला है। मुट्ठी भर लोग बाहर निकल आए हैं और संशोधित कानून का विरोध कर रहे हैं। ओबीसी लोगों को सिंह के समान गर्जना करनी चाहिए और प्रदर्शनकारियों से ज्यादा तेज आवाज उठानी चाहिए।
उन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर ओबीसी सूची में अपना पंजीकरण नहीं करवाकर ओबीसी लोगों को धोखा देने का आरोप लगाया। आगामी दिल्ली विधानसभा चुनावों के बारे में राय ने कहा कि यह ओबीसी के लिए एक बड़ी परीक्षा होगी।
केजरीवाल पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा, “हमें दिल्ली की राजनीति से उनका नाम मिटा देना चाहिए … उन्हें बाहर कर देना चाहिए।” राय ने दावा किया कि ओबीसी को वर्तमान केंद्र सरकार की सभी योजनाओं से लाभ हुआ है। उन्होंने कहा, “मोदीजी ने ओबीसी आयोग को एक संवैधानिक दर्जा दिया ताकि ओबीसी के लिए आरक्षण रद्द न किया जा सके।”
उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव मौर्य ने कहा कि सीएए का विरोध करने वाले लोग “ओबीसी और दलित विरोधी हैं और वे नहीं चाहते कि दलित लोग सफल हों” उन्होंने कहा कि दिल्ली के मतदाताओं का लगभग 60 प्रतिशत ओबीसी है और आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा को लगभग 40 लाख ओबीसी वोट मिलेंगे।