मुंबई। बॉलीवुड ऐक्टर सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या का मामला अब और सुलझता जा रहा है। सुशांत के सुसाइड मामले पर आए दिन नए- नए खुलासे हो रहे हैं। वहीं अब यह मामला दो राज्यों की सरकार और पुलिस प्रशासन को भी अपने लपेटे में ले चुका है। मुंबई पुलिस इस मामले की अपने स्तर से जांच कर रही है।
वहीं दूसरी तरफ बिहार पुलिस की टीम को नेतृत्व देने पहुंचे पटना के एसपी को मुंबई महानगरपालिका ने 14 दिनों के लिए होम क्वारंटीन कर दिया है। बिहार पुलिस के मुखिया गुप्तेश्वर पांडेय पहले से ही आरोप लगा रहे हैं कि मुंबई पुलिस उनकी टीम का सहयोग नहीं कर रही है।
जांच का ऐसा कोई और उदाहरण शायद ही मिले
आत्महत्या की एक घटना में दो राज्यों की पुलिस द्वारा समानांतर और परस्पर विरोधी जांच का ऐसा कोई और उदाहरण शायद ही मिले। मुंबई पुलिस इस मामले में पहले से जांच कर रही है और बकौल पुलिस कमिश्नर, उसने अभी किसी को क्लीन चिट नहीं दी है। यह भी कि वह सभी संभावित कोणों से इस घटना की जांच कर रही है। इसके बावजूद बिहार पुलिस अपनी तरफ से जांच करने मुंबई पहुंच गई और उसने जांच शुरू भी कर दी। उधर बिहार के उपमुख्यमंत्री ने बाकायदा ट्विटर पर ऐलान किया कि बिहार के बेटे को इंसाफ दिलाने गई बिहार पुलिस की टीम को मुंबई पुलिस सहयोग नहीं कर रही है।
क्या बिहार पुलिस की टीम का मुंबई जाना जरूरी था?
सवाल है कि ‘बिहार के बेटे को इंसाफ दिलाने के लिए क्या बिहार पुलिस की टीम का मुंबई जाना जरूरी था? क्या आगे से देश में किसी भी प्रवासी की हत्या या आत्महत्या के मामले में संबंधित राज्य अपने बेटे-बेटियों को इंसाफ दिलाने के लिए अपनी पुलिस रवाना करेंगे? ध्यान रहे, इस मामले में कानून के प्रावधान बिल्कुल साफ हैं। अगर किसी मामले में पुलिस का कोई जांच अधिकारी ठीक से जांच नहीं कर रहा तो उस पर नजर रखने के लिए उससे ऊपर के अधिकारी होते हैं।
दोनों की जिम्मेदारी एक ही ढांचे पर डाल दी गई
अगर किसी खास मामले में किसी वजह से पूरे पुलिस विभाग की निष्पक्षता पर संदेह हो तो कोर्ट की निगरानी में एसआईटी गठित करने का विकल्प उपलब्ध है। लेकिन इतना धीरज रखे बगैर अगर इस तरह से दो राज्यों की पुलिस को एक-दूसरे से भिड़ा दिया जाए तो यह न केवल अपरिपक्वता है बल्कि हद दर्जे की गैरजिम्मेदारी भी है। इसकी एक वजह यह भी हो सकती है कि हमारे यहां कानून-व्यवस्था और अपराध अन्वेषण, दोनों की जिम्मेदारी एक ही ढांचे पर डाल दी गई है।