टाटा संस और साइरस मिस्त्री विवाद में एनसीएलएटी (राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण) ने सोमवार को अपने फैसले में संशोधन करने से इनकार कर दिया है। कंपनी पंजीयक ने एनसीएलएटी के 18 दिसंबर के आदेश में संशोधन का आग्रह किया था। पहले एनसीएलटी का फैसला टाटा संस के पक्ष में आया था, जिसके बाद साइरस फैसले के खिलाफ एनसीएलएटी में चले गए थे। इसके बाद 18 दिसंबर को एनसीएलएटी ने साइरस मिस्त्री के पक्ष में फैसला देते हुए उन्हें फिर से अध्यक्ष बनाने का आदेश दिया था।
National Company Law Appellate Tribunal(NCLAT) refuses to amend judgement given on 18th December in Cyrus Mistry v/s Tata Sons case, says no aspersions cast against the Registrar of Companies.
— ANI (@ANI) January 6, 2020
साइरस मिस्त्री बोले- किसी भी पद पर वापस नहीं लौटूंगा
वहीं, रविवार को साइरस मिस्त्री ने कहा था कि मैं एनसीएलएटी के फैसले का सम्मान करता हूं, जिसने मामले की व्यापक जांच के बाद मेरी बर्खास्तगी को अवैध ठहराया। इसके बावजूद मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि मैं टाटा संस के कार्यकारी चेयरमैन या टीसीएस, टाटा टेलीसर्विसेज व टाटा इंडस्ट्रीज के निदेशक पद पर आसीन नहीं होऊंगा।
इससे पहले न्यायमूर्ति एसजे मुखोपाध्याय की अगुवाई वाली एनसीएलएटी की दो सदस्यीय पीठ ने अपने फैसले में कहा था कि मिस्त्री के खिलाफ रतन टाटा के उठाए गए कदम परेशान करने वाले थे। पीठ ने नए चेयरमैन की नियुक्ति को भी अवैध ठहराया। अदालत ने यह भी कहा कि टाटा संस को पब्लिक कंपनी से निजी बनाने का फैसला भी गैर कानूनी है और इसे पलटने का आदेश दिया जाता है।