नई दिल्ली : जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 के मुद्दे को लेकर एक बार फिर से विवाद खड़ा होता दिखाई दे रहा है. 370 को लेकर विभिन्न राजनीतिक दलों ने एक बार फिर राग को अलापना शुरू कर दिया है. शनिवार को एक संयुक्त बयान जारी कर नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष डॉ. फारूक अब्दुल्ला के नेतृत्व में पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती समेत अन्य राजनीति दलों की ओर से अनुच्छेद-370 और 35ए की बहाली की मांग की गई है। वाही इस मामले में कांग्रेस भी उनकी मांग का समर्थन करती दिखाई दे रही है.
पी. चिदंबरम ने इस घोषणा का किया स्वागत
जिसके बाद कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम ने इस घोषणा का स्वागत किया है. चिदंबरम ने रविवार को एक ट्वीट करके कहा कि ‘अनुच्छेद 370 की बहाली के लिए एकजुट हुईं मुख्यधारा की पार्टियों की एकता और जज़्बे को सलाम. मैं उनसे अपनी मांग के साथ पूरी तरह से खड़े होने की अपील करता हूं. स्वयंभू राष्ट्रवादियों की तथ्य हीन आलोचना की उपेक्षा करें जो इतिहास को नहीं पढ़ते हैं, लेकिन इतिहास को फिर से लिखने की कोशिश करते हैं. भारत के संविधान में राज्यों के लिए विशेष प्रावधान और शक्ति के असममित वितरण के कई उदाहरण हैं. अगर सरकार विशेष प्रावधानों के खिलाफ है तो फिर नागा मुद्दों को कैसे सुलझाएगी?
गुपकार घोषणा पत्र ही हमारा एकमात्र राजनीतिक एजेंडा
बहाली की मांग करने वाली पार्टियों में पीपुल्स कांफ्रेंस, माकपा (भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी) और कांग्रेस शामिल है. इन पार्टियों ने कहा है कि 4 अगस्त 2019 से गुपकार घोषणा पत्र ही हमारा एकमात्र राजनीतिक एजेंडा है जिसे पूरा करने के लिए सभी प्रयास किए जाएंगे.
बता दें कि चार अगस्त 2019 को गुपकार घोषणा पत्र जारी किया गया था. इसमें कहा गया कि अगर जम्मू-कश्मीर के विशेष संवैधानिक दर्जे के साथ केंद्र कोई छेड़खानी करता है तो सभी राजनीतिक दल मिलकर राज्य की विशिष्ट संवैधानिक, क्षेत्रीय और मजहबी पहचान के संरक्षण का प्रयास करते हुए जम्मू-कश्मीर की स्वायत्तता को सुनिश्चित बनाएंगे.