बिरकोनी : रक्षाबंधन पर्व को लेकर बाजारों में बहनें अपने भाइयों के लिए राखियों की जमकर खरीददारी कर रहीं हैं। इस बार भारत में बनी राखियों की डिमांड ज्यादा है। चीनी राखियां इस बार बाजार में नजर नहीं आ रही है। इस बार कोरोना के चलते बाजार में हमेशा की तरह चहल-पहल कम है।
अधिकांश भाइयों ने सुरक्षा की दृष्टि से अपनी बहनों को पहुंचने से इंकार कर दिया है। जबकि कुछ बहनें राखी लेकर अपने भाइयों के यहां जाने की तैयारी कर रही हैं जिसे लेकर बाजारों में राखियों की खरीददारी की जा रही है। ग्रामीण स्थानीय दुकानों से खरीददारी कर रहे हैं। इस दौरान केवल भारत की बनी राखियों की मांग सबसे ज्यादा है। चीनी राखियां बाजारों में कहीं दिखाई नहीं दे रही है।
ग्राहक ही नहीं विक्रेताओं ने भी चाइनीज राखियों का बहिष्कार करते हुए स्वदेशी राखियों को ही खरीदना आरंभ कर दिया है। पिछले वर्षों की बात करें तो बाजार में बिकने वाली 25-30 फीसद राखियां चाइनीज होती थीं। इनमें खासकर बच्चों की खिलौनों वाली राखियां शामिल थीं। इस बार बाजार से चाइनीज राखियां गायब हैं। इधर, बाजार में जहां लोगों ने चाइनीज राखियों का बहिष्कार किया है, वहीं कई जगह पर स्वदेशी राखियों का चलन भी एकाएक बढ़ गया है। पहले के मुकाबले इस बार अधिक विक्रेता भारत में बनी राखियां बेच रहे हैं।