लखनऊ : कोरोना वायरस से बचने के लिए पिछले कई दिनों से हम ‘हर्ड इम्यूनिटी’ की चर्चा सुन रहे हैं। कुछ विशेषज्ञ कहते हैं कि आबादी के बड़े हिस्से के वायरस से संक्रमित होने पर लोगों में सामुदायिक इम्यूनिटी उत्पन्न हो जाएगी और वायरस का प्रकोप कम हो जाएगा। लेकिन स्पेन में कोरोना वायरस पर किए गए एक व्यापक अध्ययन से पता चला है कि सिर्फ पांच प्रतिशत लोगों में ही वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी उत्पन्न हुई। यानी आबादी के 95 प्रतिशत हिस्से पर अब भी वायरस का खतरा बरकरार है। लैंसेट पत्रिका में प्रकाशित इस अध्ययन से जाहिर है कि तथाकथित हर्ड इम्यूनिटी का लक्ष्य हासिल करना मुश्किल ही नहीं, असंभव है।
स्पेन में किया गया अध्ययन
हर्ड इम्यूनिटी उस समय हासिल होती है जब आबादी का बड़ा हिस्सा वायरस या बैक्टीरिया से संक्रमित होता है अथवा उसे वैक्सीन दी जाती है। यूरोपियन सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल ने कहा है कि हर्ड इम्यूनिटी के विचार को परखने के लिए स्पेन में किया गया अध्ययन बड़े स्तर पर हुआ है। इसमें करीब 61000 लोगों को शामिल किया गया। इससे पहले कुछ यूरोपीय देशों में इस विषय पर छोटे- मोटे अध्ययन हो चुके हैं। इससे पहले लैंसेट ने अपने 11 जून के अंक में जिनेवा में 2766 लोगों पर किए गए एंटीबॉडी अध्ययन का ब्योरा छापा था। चीन और अमेरिका में भी इस तरह के अध्ययन हुए हैं। इन सभी अध्ययनों का मुख्य निष्कर्ष यही है कि आबादी का बहुत बड़ा हिस्सा वायरस के संपर्क में नहीं आया है। इन अध्ययनों में वे क्षेत्र भी शामिल हैं जहां वायरस व्यापक रूप से प्रसारित हो रहा है।
एंटीबॉडी की मौजूदगी से व्यक्ति नहीं होगा दोबारा संक्रमित
डॉक्टर अभी यह तय नहीं कर पाए हैं कि वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी किस हद तक और कितने समय तक व्यक्ति का बचाव करेगी। अभी यह भी नहीं कहा जा सकता कि एंटीबॉडी की मौजूदगी से व्यक्ति दोबारा संक्रमित नहीं होगा। स्पेन में अध्ययन अप्रैल में शुरू हुआ था। उस समय देश में बहुत ही कड़ा लॉकडाउन था। स्पेन में किए गए अध्ययन का निष्कर्ष उन सभी देशों के लिए महत्वपूर्ण है जो इस समय वायरस से सबसे ज्यादा संक्रमित हैं। स्पेनी अध्ययन की प्रमुख लेखक मैरीना पोलान ने कहा कि कुछ विशेषज्ञों ने अनुमान लगाया है कि 60 प्रतिशत लोगों में वायरस रोधी एंटीबॉडी उत्पन्न होने से हर्ड इम्यूनिटी हासिल हो जाएगी। एक अन्य अनुमान के अनुसार हर्ड इम्यूनिटी हासिल करने के लिए 70 से 90 प्रतिशत लोगों में इम्यूनिटी होनी चाहिए। हम अभी इस संख्या से काफी दूर हैं।
खतरनाक सिद्ध हो सकती है कोशिश
किसी कारगर वैक्सीन या ड्रग के अभाव में और कोविड-19 की पैथोलॉजी को ठीक से समझे बगैर लोगों को संक्रमित करके हर्ड इम्यूनिटी हासिल करने की कोशिश खतरनाक सिद्ध होगी। यदि संक्रमण को तेजी से बढऩे दिया जाए तो हैल्थ सिस्टम चरमरा जाएगा और अनेक लोग मारे जाएंगे और यदि संक्रमण की रफ्तार कम की जाती है तो जिंदगी को सामान्य होने में वक्त लगता है और लोगों की रोजी-रोटी पर असर पड़ता हैै। ब्रिटेन और स्वीडन जैसे देशों ने वायरस के प्रकोप से निपटने के लिए कठोर कदम उठाने के बजाय सामान्य ढंग से रहने का फैसला किया था। उन्हें उम्मीद थी कि हर्ड इम्यूनिटी से स्थित संभल जाएगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ।