सिर्फ वयस्क ही नहीं, बच्चों और किशोरों को भी सिरदर्द की समस्या हो सकती है। विभिन्न शोध से पता चला है कि स्कूल जाने वाली उम्र के लगभग 75 प्रतिशत बच्चों को कभी न कभी सिरदर्द जरूर होता है और उनमें से 10 प्रतिशत नियमित व गंभीर रूप से परेशान हो सकते हैं। एम्स के डॉ. आयुष पाण्डे के अनुसार, ‘सिरदर्द सिर के किसी भी भाग में हो सकता है या यह किसी बिंदू से शुरू होकर पूरे सिर में फैल सकता है। मोटे तौर पर सिरदर्द तनाव के कारण होता है। एक सिरदर्द ऐसा होता है जो हर दिन या हर हफ्ते बढ़ता जाता है। सिरदर्द का एक और प्रकार माइग्रेन है।’
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, सिरदर्द दो प्रकार के हो सकते हैं। पहला- प्राइमरी हेडेक डिसऑर्डर जैसे माइग्रेन, तनाव से सिरदर्द, क्रॉनिक हेडेक, क्लस्टर हेडेक, पैरॉक्सिमल हेमिक्रानिया। दूसरा – सेकेंडरी हेडेक डिसऑर्डर जो अन्य बीमारी के लक्षण के रूप में सामने आ सकता है।
माइग्रेन के लक्षण
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, माइग्रेन सबसे आम बीमारियों में से एक है। इसके लक्षण हैं :
-सिर में तेज दर्द जो थकावट के साथ बिगड़ जाता है
-मतली और उल्टी
-पेट में ऐंठन
-ध्वनि और प्रकाश के प्रति तीव्र संवेदनशीलता
तनाव से होने वाला सिरदर्द
वयस्कों की तुलना में ये बच्चों और किशोरों में अधिक आम है। अक्सर तनाव और थकान के कारण सिर और गर्दन के टिश्यूज़ में सामान्य रक्त प्रवाह में बाधा उत्पन्न होती है, जिसके कारण सिरदर्द होता है। इसके लक्षण हैं :
-माथे के दोनों तरफ दर्द
-सिर और गर्दन क्षेत्र के आसपास की मांसपेशियों में अकड़न
क्लस्टर हेडेक
क्लस्टर हेडेक एक दिन या एक सप्ताह की अवधि में पांच या अधिक क्लस्टर (समूह) में होते हैं। यह दर्द 15 मिनट से तीन घंटे तक रह सकता है। इसके लक्षण हैं :
-माथे के एक तरफ दर्द
-नाक बंद होना, आंखों से पानी आना, झल्लाहट और बेचैनी
-सिरदर्द के अन्य कारण
अलग-अलग ट्रिगर के साथ बच्चों में माइग्रेन, तनाव से उपजा सिरदर्द या क्रॉनिक हेडेक के रूप में परेशानी का कारण बन सकते हैं जैसे –
-सीजनल फ्लू और वायरल इन्फेक्शन, लगातार साइनस इन्फेक्शन या टॉन्सिलिटिस
तनाव और थकान, नींद न आना
-अत्यधिक शारीरिक परिश्रम
-लंबे समय तक पढ़ने, लंबे समय तक टीवी देखने और वीडियो गेम खेलने के कारण आया तनाव
-सिर में चोट
-ट्यूमर
-भावनात्मक तनाव, पीयर प्रेशर, परफॉर्मेंस प्रेशर
-ब्रेन इन्फेक्शन जैसे मैनिंजाइटिस और एन्सेफलाइटिस
-नाइट्रेट या एमएसजी जैसे प्रिजर्वेटिव्स से फूड एलर्जी
-भूख और शरीर में पानी की कमी से ब्लड शुगर के स्तर में गिरावट
सिर दर्द में ऐसे मिल सकती है राहत
कभी-कभी माता-पिता को समस्या की गंभीरता का पता नहीं लगता क्योंकि बच्चे अक्सर अपनी शिकायत को सही तरीके से नहीं बता पाते हैं। सिरदर्द का अनुभव करने वाले बच्चे अक्सर चिड़चिड़े और हिंसक होते हैं। इन दिनों किशोर और यहां तक कि माता-पिता भी डॉक्टर के पास जाने के बजाय एनाल्जेसिक और पेरासिटामोल का इस्तेमाल करते हैं। यह हानिकारक हो सकता है।
सिर में मॉलिश, कोल्ड कंप्रेस या अच्छी नींद मिलने से कुछ राहत मिल सकती है। संतुलित आहार और मैदानी खेलकूद या चलना-दौड़ना जरूरी हैं। सिरदर्द किसी गंभीर बीमारी का लक्षण हो सकता है और इसकी उपेक्षा करने के घातक परिणाम हो सकते हैं। अपने बच्चे की शिकायत पर ध्यान देना और सही समय पर डॉक्टर की सलाह लेना बेहद जरूरी है।