चम्पावत :-मुख्यमंत्री घोषित होने के बाद अब तक हुए पांच उपचुनावों में जनता ने सीएम धामी को प्रचंड बहुमत से जिताया है। इस बार के चुनाव ने सारे रिकॉर्ड तोड़ इतिहास रच दिया है। बंपर वोटों से चुनाव जीते धामी के सामने सबकी जमानत जब्त हो गई है। सीएम धामी ने 55025 मतों से ऐतिहासिक जीत दर्ज की है। चुनाव में ईवीएम से 62898 मत और पोस्टल बैलेट से 1303 वोट पड़े थे।
चम्पावत विधानसभा उपचुनाव में मुख्यमंत्री ने इतिहास रच दिया है। उन्होंने चुनाव में एकतरफा जीत हासिल की है। अन्य प्रत्याशी जमानत बचाने के लिए संघर्ष करते हुए दिखाई दिए। उपचुनाव में 61595 लोगों ने मतदान किया। सीएम पुष्कर सिंह धामी को 58258, कांग्रेस प्रत्याशी निर्मला गहतोड़ी को 3233 मत मिले। सीएम के लिए जीत कोई मायने नही रखती थी। वह अपनी जीत को ऐतिहासिक बनाना चाहते थे। उनका यह सपना जनता ने पूरा कर दिया।
23 हजार मतों से जीते थे तिवारी
उत्तराखंड अलग प्रदेश बनने के बाद पहले विधानसभा चुनाव वर्ष 2002 में हुए। चुनाव में जनता ने कांग्रेस को बहुमत के आंकड़े तक पहुंचाया। तब कांग्रेस को 36 सीटें मिली और भाजपा को 29 सीटें मिली। गुटबाजी को देखते हुए हाईकमान ने कांग्रेस के नारायण दत्त तिवारी को प्रदेश का मुख्यमंत्री घोषित कर दिया। मुख्यमंत्री बनने के बाद नारायण दत्त तिवारी ने रामनगर सीट से उपचुनाव लड़ा। उनके लिए कांग्रेस के विधायक योगम्बर सिंह ने सीट छोड़ी। नारायण दत्त तिवारी 66.88% मत पाकर विजयी रहे।उन्हें 32913 मत मिले जबकि भाजपा प्रत्याशी राम सिंह बिष्ट को 9693 मत मिले। तिवारी 23 हजार मतों से विजयी रहे।
14 हजार मतों से जीते खंडूड़ी
इसके बाद 2007 में प्रदेश में दूसरे विधानसभा चुनाव में इस विधानसभा चुनाव में जनता ने किसी भी दल को पूर्ण बहुमत नहीं दिया। भाजपा बहुमत से मात्र एक सीट पीछे रह गई। भाजपा को 35 सीट व कांग्रेस को 21 सीटें ही मिली। भाजपा ने सरकार बनाने का दावा किया। मुख्यमंत्री पर विधायकों में एकमत नहीं होने पर पार्टी ने भुवन चंद खंडूरी को मुख्यमंत्री घोषित कर दिया। इसके बाद उन्होंने धुमाकोट विधानसभा से चुनाव लड़ा। तब उनके लिए धूमाकोट विधानसभा से सीट खाली करने वाले कांग्रेस के विधायक टीपीएस रावत थे। भुवन चंद्र खंडूरी 14 हजार से भी अधिक मतों से जीतने में सफल रहे उन्हें 70. 66% मत मिले।
बहुगुणा 39 रावत 20 हजार मतों से जीते
इसके बाद 2012 में राज्य में तीसरे विधानसभा चुनाव में इस बार जनादेश पूरी तरह अस्पष्ट रहा। कांग्रेस को 32 भाजपा को एक 31 सीट मिली तब कांग्रेस ने सरकार बनाने का दावा किया। निर्दलीय, क्षेत्रीय दल, व बसपा के समर्थन से कांग्रेस ने प्रदेश में सरकार बनाई। मिलीजुली सरकार में कांग्रेस हाईकमान ने विजय बहुगुणा को मुख्यमंत्री घोषित कर दिया। उन्होंने सितारगंज विधानसभा से उप चुनाव लड़ा। उनके लिए यह सीट भाजपा के विधायक किरण मंडल ने छोड़ी थी। उपचुनाव में सितारगंज की जनता ने विजय बहुगुणा को सिर आंखों पर बिठाया। वह 77.15 मत लाकर जीते। विजय बहुगुणा को 53766 मत मिले, जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंदी प्रकाश पंत को 13800 वोटों पर ही संतोष करना पड़ा। मिलीजुली सरकार के मुखिया दो साल ही गद्दी संभाल पाएं। वर्ष 2014 में कांग्रेस हाईकमान ने विजय बहुगुणा को हटाकर हरीश रावत को प्रदेश का मुख्यमंत्री घोषित कर दिया।
20 हजार से जीते हरीश रावत
मुख्यमंत्री हरीश रावत के लिए धारचूला के विधायक हरीश धामी ने अपनी सीट छोड़ी। हरीश रावत क्षेत्र में प्रचार के आए बिना ही 20 हजार सेअधिक मतों से जीतने में सफल रहे। उन्हें 72.11 प्रतिशत मत मिला।