नई दिल्ली:- कच्चे तेल की कीमतों में तेजी के बावजूद दाम नहीं बढ़ने से ईधन की खुदरा बिक्री करने वाली कंपनियों को जमकर नुकसान उठाना पड़ रहा है। जियो-बीपी और नायरा एनर्जी जैसी कंपनियों का दावा है कि उन्हें डीजल की बिक्री पर प्रति लीटर 20 से 25 रुपये और पेट्रोल पर 14 से 18 रुपये का नुकसान हो रहा है। कंपनियों ने पेट्रोलियम मंत्रालय को पत्र लिखकर सरकार से एक समान निवेश वातावरण बनाने की मांग की है।
साथ ही चेतावनी दी है कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो ईधन बिक्री के खुदरा कारोबार में निवेश सिमट जाएगा। फेडरेशन आफ इंडियन पेट्रोलियम इंडस्ट्री ने 10 जून को मंत्रालय को यह पत्र लिखा था। एफआइपीआइ निजी क्षेत्र की कंपनियों के अलावा इंडियन आयल कारपोरेशन (आइओसी), भारत पेट्रोलियम कारपोरेशन (बीपीसीएल) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कारपोरेशन (एचपीसीएल) को अपने सदस्यों में गिनता है।
इससे जियो-बीपी, रोसनेफ्ट समर्थित नायरा एनर्जी और शेल के समक्ष अस्तित्व का संकट पैदा हो गया है। अगर निजी कंपनियां दाम बढ़ाती हैं तो उन्हें ग्राहकों को खोना पड़ेगा। अगर कंपनियां सरकार द्वारा तय कीमत पर ही ईधन की बिक्री करती हैं तो इससे उनकी बैलेंस शीट प्रभावित होगी।
एफआइपीआइ के महानिदेशक गुरमीत सिंह ने पत्र में लिखा है कि छह अप्रैल से ईंधन के खुदरा दाम नहीं बढ़े हैं। जबकि राज्य परिवहन उपक्रमों जैसे थोक खरीदारों को बेचे जाने वाले ईंधन के दाम में अंतरराष्ट्रीय कीमतों के अनुरूप वृद्धि हुई है। एफआइपीआइ ने कहा कि इससे बड़ी संख्या में थोक खरीदार खुदरा आउटलेट से खरीद कर रहे हैं जिससे निजी क्षेत्र की कंपनियों का नुकसान और बढ़ रहा है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल और इसके उत्पादों की कीमतें एक दशक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई हैं, लेकिन सरकारी ईंधन खुदरा विक्रेताओं ने पेट्रोल और डीजल कीमतों को ‘फ्रीज’ किया हुआ है। सरकारी कंपनियों का ईंधन खुदरा कारोबार में 90 प्रतिशत का हिस्सा है। इस समय ईंधन के दाम लागत लागत के दो-तिहाई पर ही हैं, जिससे निजी कंपनियों को नुकसान हो रहा है।